Musings of a non-entity
Who am I?
Monday, 14 May 2018
कहाँ है इनसान?
ढूंढा था उसे बागों में बहारों में
खोजा था उसे गलियों में कूचों में
तलाशा था उसे आदमी आदमी में
पुछा था उसे जब मिल गया
"इनसान कहाँ है, भगवान?"
जवाब दिया था उसने सर खुजाकर
"मैं भी उसीको ढूंढ रहा हूँ,
मगर मिला नहीं अब तक इनसान."
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