Musings of a non-entity
Who am I?
Thursday, 27 September 2018
बिखरी बज़्म
बिखरी
बज़्म
तेरी
फिर
सजने
को
है
रूप
तेरा
धरती
पर
फिर
आने
को
है
मुस्कराहट
होंठों
पर
फैलने
को
है
लम्हा
-
ए
-
इंतज़ार
ख़त्म
होने
को
है
Tuesday, 18 September 2018
अधूरा कलाम
धड़कता हो कोई दिल मेरे लिए
तरसती हो कोई नज़र मेरे लिए
पुकारते हों कोई होंठ मेरा नाम
निहारती हो कोई मुझको सुबह-ओ-शाम
इन्ही हसरतों में गुज़री है ज़िंदगी मेरी
बस रहगाई है उम्र बनके अधूरा कलाम
…
श्याम सुन्दर बुलुसु
Saturday, 15 September 2018
A DOOR-1
A DOOR (to Mother Nature)
(acrylic on stretched canvas)
Monday, 10 September 2018
WINDOW-1
A WINDOW - 1
(Acrylic on stretched canvas)
Thursday, 6 September 2018
GIRL-1
50 shades of grey, or what?
(watercolour)
Monday, 3 September 2018
WOMAN-3
WOMAN-3
(watercolour)
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