कश्मकश-ए-ज़िन्दगी से
कौन जूझे
हक़ीक़त-ए-हयात को कौन
बूझे
दांव-ओ-पेंच-ए-जीवन
को कौन समझे
नावाकिफ हूँ राज़-ए-हयात
से, मैं चला ।
मोहब्बत
का खतरा कौन
लेले
जीवन
के पापड़ को
कौन बेले
फुरक़त-ए-महबूब
को कौन झेले
नावाकिफ
हूँ राज़-ए-हयात से,
मैं चला ।
शरीक़-ए-हयात
को खोने का ग़म
ता
ज़िन्दगी न होगा यह कम
दिल
के अंदर है यह एटम बम
नावाकिफ
हूँ राज़-ए-हयात से, मैं चला ।
जीवन
के सफर को
न जाना
मुश्किल-ए-राह
को न पहचाना
दुनिया
की भीड़ में
रहा अनजाना
नावाकिफ
हूँ राज़-ए-हयात से,
मैं चला ।
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