हल्कीसी
पुहार पड़ी
इंद्रधनुष
प्रकट हुआ
चमेली की
महक उठी
एहसास हुआ
तू आई।
दांतो में
ऊँगली दबाये
होंठों
पर मुस्कान छिपाये
आँखों में
शरारत उठाये
मेरे क़रीब
तू आई।
हिरन ने
नज़र चुराई
कोयल पर
चुप्पी छायी
हंस की
चाल लड़खड़ाई
जब दबे
पांव लेकर तू आई।
अंगूठेसे
रंगोली बनाते
आँखों से
इश्क़ झलकाते
इशारों
में इज़हार करते
मेरी आगोश
में तू आई।
बाँहों
के झूले में मुझे झुलाने
बेरंग दुनिया
को रंगीन बनाने
कड़वी ज़िन्दगी
में मिठास घोलने
मुझमें
विलीन होने तू आई ।
***
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