अब वो तू
कहाँ जो तेरी बज़्म सजे, और
वो बज़्म
कहाँ जिस से तेरा दीवाना चला जाये?
अब वो शम्मा
कहाँ जो महफ़िल में जले, और
वो परवाना
कहाँ जो शम्मा में मिटे?
तेरी बेवक़्त
रुखसत से सब कुछ तबाह हो गया, बस
रहगए तेरा
आशिक़ दीवाना, और जलने को तरसता वो परवाना ।
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