Thursday 27 September 2018

बिखरी बज़्म


बिखरी बज़्म तेरी फिर सजने को है
रूप तेरा धरती पर फिर आने को है
मुस्कराहट होंठों पर फैलने को है
लम्हा--इंतज़ार ख़त्म होने को है

Tuesday 18 September 2018

अधूरा कलाम




धड़कता हो कोई दिल मेरे लिए
तरसती हो कोई नज़र मेरे लिए
पुकारते हों कोई होंठ मेरा नाम
निहारती हो कोई मुझको सुबह-ओ-शाम
इन्ही हसरतों में गुज़री है ज़िंदगी मेरी
बस रहगाई है उम्र बनके अधूरा कलाम

                                … श्याम सुन्दर बुलुसु

Saturday 15 September 2018

Thursday 6 September 2018