Tuesday 18 September 2018

अधूरा कलाम




धड़कता हो कोई दिल मेरे लिए
तरसती हो कोई नज़र मेरे लिए
पुकारते हों कोई होंठ मेरा नाम
निहारती हो कोई मुझको सुबह-ओ-शाम
इन्ही हसरतों में गुज़री है ज़िंदगी मेरी
बस रहगाई है उम्र बनके अधूरा कलाम

                                … श्याम सुन्दर बुलुसु

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