महरूम होगयी
अपनी डाली से एक और कली
एक मासूम
को कुचल गया ख़ुद उसका माली
पूजा होती
है देवियों की लक्ष्मी हो, या काली
मगर हैवानियत
के आगे चढ़गई एक और बली
मांगा क्या
था बेटी के लिए, ज़िंदगी आलिशान?
"क्या
बेटी सीने पर अंगीठी है?" माँ बाप परेशान
क्या बेटी
की यात्रा कोख से सीधा शमशान?
इनसानियत
पर लग गया है सवालिया निशान.
खड़ा हूँ
शर्म से नत मस्तक होके
जो बेटियां
मुझसे पूछ रहीं दुखी होके
"हाथ
धोलिया हमें पैदा करके?
जवाब दीजिए
पापा आँख मिलाके।"
***
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